Jitender Singh (We Today) निशा शर्मा का नाम तो आपने सुना ही होगा….वही निशा शर्मा जिसने सन् 2001 में नोएडा (दिल्ली) में ये आरोप लगाते हुए कि लड़के वालो ने दहेज़ मांगा है अपनी बारात वापिस लौटा दी थी। बिना शादी किये ही लड़के वालो पर दहेज़ का मुकदमा IPC 498A लग गया। महिला आयोग, महिला संगठन, मीडिया ने निशा शर्मा की जमकर तारीफ़ की..किसी ने इसे लक्ष्मीबाई कहकर पुकारा और किसी ने इसकी तुलना माँ दुर्गा से कर दी। निशा से मिलने वालों का तांता लग गया। राजनीतिक दलों के नेता, फ़िल्म अभिनेता और कई जानी-मानी हस्तियाँ निशा से मिलकर उसकी पीठ थपथपा रहे थे। हर चैनल पर मेहंदी लगाकर चुनरी ओढ़ कर निशा शर्मा इंटरव्यू देती थी।
उसके दरवाजे पर मीडिया के सैकड़ों ओ बी वैन खड़े रहते थे। इस घटना के बाद निशा शर्मा को कई ऐसे लड़कों के पत्र मिले थे जो उनसे शादी करने के इच्छुक थे और कहते थे कि वह उन्हें पत्नी बना कर स्वयं को सम्मानित महसूस करेंगे।
बात यही नहीं रुकी, CBSE की NCERT की किताबो में इस औरत का जिक्र और इसके ऊपर अध्याय शामिल किये गए ताकि भोले भाले लडको का ब्रेन वाश किया जा सके। इस तरह इस औरत को तथाकथित नारी शक्ति का सम्मान दिया गया।
बॉयफ्रेंड से शादी करने के लिए रचा था ड्रामा
दरअसल निशा शर्मा ने अपने बॉयफ्रेंड से शादी करने के लिए यह पूरा ड्रामा रचा था। 10 साल बाद अदालत के फैसले ने इस घिनौने नारीवाद के मुह पर एक ज़ोरदार तमाचा मारा…अदालत ने अपने फैसले में कहा—
“ये बेहद दुःखद है कि मुनीश और उनके परिवार को झूठे प्रकरण में फंसाया गया, इस झूठे केस के कारण मुनीश और उनके परिवार को लगभग 10 वर्ष तक की मानसिक यातनाएं झेलनी पड़ी, अफसोस इस बात का भी है कि मीडिया ने भी झूठे केस को खूब उछाला, ये मीडिया की विश्वसनीयता पर सवाल है। निशा शर्मा ने जो भी आरोप लगाये वो सब सिर्फ और सिर्फ सोची समझी साजिश थी ,क्योंकि निशा विवाह करना ही नही चाहती थी, क्योंकि उसका किसी और से अफेयर था। लिहाजा ये अदालत मुनीश और उनकी फैमिली को बाइज्जत बरी करती है”
ये फैसला सुनकर लड़के वाले खुश तो हुए लेकिन उनकी ज़िन्दगी के दस साल इसी झूठे केस में तबाह हो गए। लड़के की जॉब छूट गई। एक साल जेल में रहा, फिर 8 साल वह कोर्ट कचहरी के धक्के खाता रहा। लड़के की मां सरकारी नौकरी में थी वह भी जेल जाने से सस्पेंड हो गई और लड़के के पिता का हार्ट अटैक आने से निधन हो गया। इसके बाद बिना सोचे समझे किसी महिला का महिमा मंडन करने वाले मीडिया ने भी कोई सफाई नहीं दी। CBSE की किताबो से निशा शर्मा को तुरंत हटा दिया गया। मीडिया मसाला दिखाने की शौकीन है, लेकिन सच्चाई सामने आने पर उसे भी उतनी ईमानदारी के साथ, उसी प्रकार प्रकशित करना चाहिए जिस प्रकार घटना पर किया था, ये मीडिया की नैतिक जिम्मेदारी होना चाहिए।
जो लोग मीडिया और न्यूज पेपर के हिसाब से फैसला कर लेते है सही और गलत का, उन्हें यह जानना अति आवश्यक है की मीडिया की खबर साक्ष्य में कोई स्थान नहीं रखती है।
निशा शर्मा फंसी दहेज केस में
कहते हैं इंसाफ सिर्फ यहीं नहीं होता, इन सब अदालतों से ऊपर भी एक अदालत है और उस अदालत का जब फैंसला आता है तो सारी होशियारी धरी रह जाती है। निशा शर्मा के साथ भी वही हुआ। दहेज का आरोप लगाकर दरवाजे से बारात लौटाकर सुर्खियों में आईं निशा शर्मा 2013 में अपनी भाभी से दहेज मांगने के केस में फंस गई। निशा की भाभी मनीषा के पिता द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर के मुताबिक, मनीषा के ससुर डी. डी. शर्मा, सास हेमलता शर्मा, पति ज्ञानेश्वर शर्मा और ननद निशा शर्मा ने 12 लाख रुपये दहेज मांगा और न ला पाने पर उसके साथ मारपीट शुरू कर दी। कई बार उन्होंने उन्हें समझाने की कोशिश भी की लेकिन उन पर कोई असर नहीं हुआ और उसके ससुरालियों ने उसे घर से निकाल दिया। इस मामले में उनकी तहरीर पर पुलिस ने निशा शर्मा समेत चारों ससुरालियों के खिलाफ धारा 498ए (स्त्री के साथ ससुरालियों द्वारा क्रूरता करना), 506 (जान से मारने की धमकी देना), 504 (गालीगलौज करना), 406 (शादी में दिए सामानों पर कब्जा करना) के आरोप में नामजद मुकदमा दर्ज कर लिया। फिलहाल बताया जा रहा है कि निशा शर्मा और उसका पूरा परिवार जेल में है।
यह कोई एक केस नहीं है जब किसी निशा शर्मा द्वारा किसी बेगुनाह लड़के को दहेज के झूठे केस में फंसाया जाता है। हर साल हजारों बेगुनाह पुरुष और महिलाएं दहेज के केस में निर्दोष पाए जाते हैं। देश की सर्वोच्च अदालत भी दहेज कानून के दुरुपयोग को लीगल टेररिज्म की संज्ञा दे चुकी है।